Brief history of Gear box
Brief History of Gear Box पहले ऑटोमोबाइल में वाहन रियर-इंजन माउंटिंग वाले थे, इन वाहनों में एक साधारण बेल्ट-ड्राइव होती थी , जो की सिंगल-स्पीड ट्रांसमिशन के रूप में कार्य करती थी । 1891 पैनहार्ड एट लेवासोर को ऑटोमोटिव ट्रांसमिशन में एक इंपोटेंट डेवलेपमेंट के रूप में जाना जाता है , क्योंकि इसमें तीन-स्पीड मैनुअल ट्रांसमिशन का उपयोग किया गया था। इस ट्रांसमिशन द्वारा प्रेरित कई अन्य डिज़ाइनों के साथ एक गैर-सिंक्रोनस जिसे स्लाइडिंग-मेश भी कहा जाता है डिज़ाइन हुआ , जिसमें गियर परिवर्तन के लिए गियर को उनके शाफ़्ट के साथ स्लाइड करना होता था, ताकि ड्रिवन गियर के Teeth ड्राइविंग गियर के Teeth के साथ मेश हो जाएं। इसलिए ड्राइवर को गियर शिफ्ट करते समय सावधानीपूर्वक समय और थ्रोटल का ध्यान रखने की आवश्यकता होती थी ,क्योंकि गियर लगे होने पर सभी गियर लगभग उसी गति से घूम रहे होते थे।अन्यथा सावधानीपूर्वक गियर शिफ्ट ना करने से गियर के दांते आपस में मेश नही हो पाते थे। लेकिन यह सावधानी रखना बहुत आसान नहीं था, इसलिए गियर परिवर्तन अक्सर एक घिसने की आवाज़ के साथ परिवर्तित होते थे, इसलिए इस गियरबॉक...