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Brief history of Gear box

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Brief History of Gear Box पहले ऑटोमोबाइल में वाहन रियर-इंजन माउंटिंग वाले थे, इन वाहनों में एक साधारण बेल्ट-ड्राइव होती थी , जो की सिंगल-स्पीड ट्रांसमिशन के रूप में कार्य करती थी । 1891 पैनहार्ड एट लेवासोर को ऑटोमोटिव ट्रांसमिशन में एक इंपोटेंट डेवलेपमेंट के रूप में जाना जाता है , क्योंकि इसमें तीन-स्पीड मैनुअल ट्रांसमिशन का उपयोग किया गया था। इस ट्रांसमिशन द्वारा प्रेरित कई अन्य डिज़ाइनों के साथ एक गैर-सिंक्रोनस जिसे स्लाइडिंग-मेश भी कहा जाता है डिज़ाइन हुआ , जिसमें गियर परिवर्तन के लिए  गियर को उनके शाफ़्ट के साथ स्लाइड करना होता था, ताकि ड्रिवन गियर के Teeth ड्राइविंग गियर के Teeth के साथ मेश हो जाएं। इसलिए ड्राइवर को गियर शिफ्ट करते समय सावधानीपूर्वक समय और थ्रोटल का ध्यान रखने की आवश्यकता होती थी ,क्योंकि गियर लगे होने पर सभी गियर लगभग उसी गति से घूम रहे होते थे।अन्यथा सावधानीपूर्वक गियर शिफ्ट ना करने से गियर के दांते आपस में मेश नही हो पाते थे। लेकिन यह सावधानी रखना बहुत आसान नहीं था, इसलिए गियर परिवर्तन अक्सर एक घिसने  की आवाज़ के साथ परिवर्तित होते थे, इसलिए इस गियरबॉक...

क्लच वर्किंग प्रिंसिपल

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  CLUTCH आप को Clutch के बारे मे संपूर्ण जानकारी देने जा रहा हूं।सबसे पहले clutch के बारे मे आपको यह जानना चाहिए की क्लच क्या है ,और वाहनों में क्लच की आवश्यकता हमको क्यो होती है। What is Clutch? सरल शब्दों में कहे तो क्लच एक यांत्रिक उपकरण है, जो विशेष रूप से ड्राइविंग शाफ़्ट (Driving shaft) से चालित शाफ़्ट (Driven Shaft) तक पावर ट्रांसमिशन को Engage या Disengage करता है। सरल शब्दों में  क्लच दो घूर्णन शाफ़्ट (ड्राइव शाफ़्ट और ड्रिवन शाफ़्ट) को डिस्कनेक्ट या कनेक्ट करते हैं। कार या अन्य वाहन की बात करे तो, ड्राइविंग शाफ़्ट इंजन की क्रैंक शाफ़्ट को ही कहते है ,और दूसरी शाफ़्ट जिसे ड्रिवन शाफ़्ट (Driven Shaft) कहते है वह गियरबॉक्स से जुडी होती है। क्लच के प्रकारों में शामिल हैं:   घर्षण क्लच,centrifugal क्लच, हाइड्रोलिक क्लच,  semi-centrifugal क्लच और cone क्लच। क्लच अपने संचालन के लिए घर्षण के सिद्धांतों को नियोजित करते हैं, विशेष रूप से क्लच प्लेट और flywheel के बीच। क्लच कार्य सिद्धांत(Principle) एक क्लच का उपयोग दो चलती शाफ़्ट को जोड़ने एवं अलग करने के लिए कि...

4 stroke petrol Combustion Engine

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 4 स्ट्रोक (इंटरनल combustion पेट्रोल इंजिन)के पार्ट और उनका काम    आंतरिक दहन इंजन (आईसीई) में ईंधन का प्रज्वलन और दहन इंजन के भीतर ही होता है। यह हवा एवं ऑक्सीजन के मिश्रण को एक स्पार्क की मदद से आग लगता है,फिर इंजन आंशिक रूप से दहन से ऊर्जा को काम में परिवर्तित करता है। दहन, जिसे जलने के रूप में भी जाना जाता है, ईंधन और वायु मिश्रण से ऊर्जा जारी करने की मूल रासायनिक प्रक्रिया है।  4 स्ट्रोक ICE ke मुख्य part निम्नलिखित होते है। (1)स्पार्क प्लग (2) इंटेक एवं एक्जास्ट वॉल्व (3) रॉकर आर्म (4) कैमशाफ्ट (5) पिस्टन (6)पिस्टन रिंग (7) कनेक्टिंग रॉड (8) क्रैक शाफ़्ट (9) फ्लाइवहील। आइए अब इन सभी का कार्य एवं महत्व समझते है। Spark plug   स्पार्क प्लग एक स्पार्क पैदा करता है,और इस स्पार्क से जो इंजन के भीतर वायु / ईंधन मिश्रण होता है वो जलाता है। स्पार्क प्लग में इग्निशन सिस्टम से जुड़े टिप पर एक छोटा इलेक्ट्रोड होता है। यह इलेक्ट्रोड स्पार्क की एक चमक पैदा करता है जो इंजन चल रहा होने पर इलेक्ट्रोड में एक छोटे से अंतर में कूदता है। वाल्व     वाल्व की ऊपर और नी...

Advantages and Disadvantages 2/4 Stroke Engine

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Advantages and Disadvantages 2 Stroke and 4 Stroke Engine 2 स्ट्रोक इंजन के फायदे  इसका डिजाइन सरल और निर्माण आसान है, क्योंकि इसमें कोई वाल्व नहीं है, केवल इनलेट और आउटलेट पोर्ट हैं।दो-स्ट्रोक इंजन अधिक शक्तिशाली होता है इसमें प्रत्येक वैकल्पिक स्ट्रोक चार-स्ट्रोक इंजन के विपरीत पावर स्ट्रोक होता है जिसमें हर चार स्ट्रोक में एक बार पावर वितरित की जाती है, इससे महत्वपूर्ण शक्ति को बढ़ावा मिलता है, Acceleration भी अधिक होगा और पावर वितरण एक समान होगा। वही 2 स्ट्रोक इंजन किसी भी स्थिति में काम कर सकता है क्योंकि स्नेहन ईंधन के माध्यम से किया जाता है क्योंकि ईंधन पूरे सिलेंडर और crankcase होकर गुजरता है। 2 स्ट्रोक इंजन के नुकसान 2 स्ट्रोक इंजन में फ्यूल की ज्यादा खपत होती है,प्रत्येक पिस्टन पावर स्ट्रोक के लिए एवं प्रत्येक reciprocating स्ट्रोक के साथ ईंधन की खपत होती है, जो ईंधन की अधिक खपत करता है, भले ही यह समान शक्ति पैदा करता हो।दो-स्ट्रोक इंजनों को क्रैंकशाफ्ट और सिलेंडर की दीवारों को चिकनाई देने के लिए अधिक तेल-वायु-ईंधन मिश्रण की आवश्यकता होती है। 2 स्ट्रोक इंजन अधिक ...

दो स्ट्रोक और चार स्ट्रोक के बीच अंतर

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Two stroke   Four Stroke  टू-स्ट्रोक इंजन क्या है? टू-स्ट्रोक इंजन एक ऐसा इंजन है जो क्रैंकशाफ्ट के एक चक्कर के दौरान पिस्टन के दो स्ट्रोक के साथ एक शक्ति चक्र पूरा करता है। फोर-स्ट्रोक इंजन क्या है? फोर-स्ट्रोक इंजन एक आंतरिक दहन इंजन है जिसमें पिस्टन क्रैंकशाफ्ट के दो चक्कर मे चार अलग-अलग स्ट्रोक पूरे करता है। दो-स्ट्रोक और चार-स्ट्रोक इंजन चक्रों के बीच का अंतर क्रैंकशाफ्ट और पिस्टन की गति में निहित है। आइए हम दो-स्ट्रोक और चार-स्ट्रोक के बीच अधिक अंतर जानें दो स्ट्रोक और चार स्ट्रोक के बीच अंतर दो स्ट्रोक इसमें एक पावर स्ट्रोक के दौरान क्रैंकशाफ्ट का एक चक्कर होता है। चार स्ट्रोक इसमें एक पावर स्ट्रोक के दौरान क्रैंकशाफ्ट के दो चक्कर होते हैं। दो स्ट्रोक यह हाई टॉर्क जनरेट करता है। चार स्ट्रोक यह कम टॉर्क जनरेट करता है। दो स्ट्रोक यह ईंधन के आउटलेट और इनलेट के लिए एक पोर्ट का उपयोग करता है। चार स्ट्रोक यह ईंधन के आउटलेट और इनलेट के लिए वाल्व का उपयोग करता है। दो स्ट्रोक इसके इंजनों के परिणामस्वरूप तापीय दक्षता कम होती है। चार स्ट्रोक इसके इंजनों के परिणामस्वरूप उच्च तापीय ...

आन्तरिक दहन इंजन(इंटरनल कंब्यूशन इंजन)

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आन्तरिक दहन इंजन   या   अन्तर्दहन इंजन   ( internal combustion engine ) एक ऐसा इंजन जिसमें   ईंधन   एवं  ऑक्सीजन  के मिश्रण को सभी तरफ से बन्द एक दहन कक्ष में जलाया जाता है। दहन की इस क्रिया में हवा   में मौजूद ऑक्सीजन ही सीधे काम में आती है। जिस बन्द कक्ष में दहन होता है उसे   दहन कक्ष   कहते हैं। ईंधन और वायु के मिश्रण को जलाने के लिये स्पार्क प्लग का उपयोग कर चिनगारी (स्पार्क) उत्पन्न कि जाती है या दूसरी तकनीक के द्वारा अत्यधिक  दबाव पैदा किया जाने के  कारण वे स्वयं जल उठते हैं। मिश्रण के जलने से उच्च ताप और  दबाव  पैदा होता है जिससे पिस्टन को चलाया जाता है (पिस्टन वाले इंजनों में) या टर्बाइन के ब्लेड घुमाये जाते हैं (गैस टर्बाइन मे) या रोटर घुमाया जाता है (वांकेल इंजन में), या एक जेट पैदा किया जाता है (जेट इंजन में)। इस प्रकार आन्तरिक दहन इंजन, रासायनिक ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलते हैं। एक आन्तरिक दहन इंजन का सरलीकृत चित्र तथा उसकी कार्यप्रणाली दहन की यह प्रक्रिया  ऊष्माक्षेपी  (Exothermic Reaction)...

हिस्टरी आफ ऑटोमोबाइल

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परिभाषा एक ऐसा माध्यम जो यात्रियों को एक स्थान से अन्य स्थान तक लाने ले जाने मै परिवहन के काम आता है। यह दो पहिया,तीन पहिया,चार या अधिक पहिया वाहनों के रूप में हो सकते है। इतिहास   सबसे पहले भाप द्वारा चलने वाले वाहन का निर्माण किया गया था।   1801 में डेविल रोड लोकोमोटिव का निर्माण हुआ।कई लोगों का ये मानना था की ये पहला प्रदर्शन था, भाप द्वारा चलने वाले सड़क वाहन का।लेकिन ये लंबे समय तक स्टीम प्रेशर को बना के रखने में सक्षम नहीं था ,और इस पर काम करना बंद कर दिया। लेकिन इस की कुछ विशेषता मै ब्रेक, गियर बॉक्स,बियरिंग एवं फ्लाइवहील शामिल था। 1806 में फ्रैंकोइस इसाक डी रिवाज जो की एक स्विस आविष्कारक थे ,इन्होंने पहला इंटरनल कम्बूशन इंजन का अविष्कार किया।लेकिन ये डिजाइन ज्यादा सफल नही रहा।इसमें तेल मिश्रण ऑक्सीजन एवं हाइड्रोजन का था। समय - समय पर वाहनों, नौकाओं मै आंतरिक दहन इंजन के साथ अविष्कार होते रहे। फ़्रेंच आविष्कारक  Gustave Trouvé  ने 1881 में  तीन पहियों वाला वाहन का अविष्कार किया जो बिजली द्वारा चलता था। उन्होंने इसका पेरिस में अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शन किया ...