Brief history of Gear box



Brief History of Gear Box

पहले ऑटोमोबाइल में वाहन रियर-इंजन माउंटिंग वाले थे, इन वाहनों में एक साधारण बेल्ट-ड्राइव होती थी , जो की सिंगल-स्पीड ट्रांसमिशन के रूप में कार्य करती थी । 1891 पैनहार्ड एट लेवासोर को ऑटोमोटिव ट्रांसमिशन में एक इंपोटेंट डेवलेपमेंट के रूप में जाना जाता है , क्योंकि इसमें तीन-स्पीड मैनुअल ट्रांसमिशन का उपयोग किया गया था। इस ट्रांसमिशन द्वारा प्रेरित कई अन्य डिज़ाइनों के साथ एक गैर-सिंक्रोनस जिसे स्लाइडिंग-मेश भी कहा जाता है डिज़ाइन हुआ , जिसमें गियर परिवर्तन के लिए  गियर को उनके शाफ़्ट के साथ स्लाइड करना होता था, ताकि ड्रिवन गियर के Teeth ड्राइविंग गियर के Teeth के साथ मेश हो जाएं। इसलिए ड्राइवर को गियर शिफ्ट करते समय सावधानीपूर्वक समय और थ्रोटल का ध्यान रखने की आवश्यकता होती थी ,क्योंकि गियर लगे होने पर सभी गियर लगभग उसी गति से घूम रहे होते थे।अन्यथा सावधानीपूर्वक गियर शिफ्ट ना करने से गियर के दांते आपस में मेश नही हो पाते थे। लेकिन यह सावधानी रखना बहुत आसान नहीं था, इसलिए गियर परिवर्तन अक्सर एक घिसने  की आवाज़ के साथ परिवर्तित होते थे, इसलिए इस गियरबॉक्स को "क्रैश गियर बॉक्स" उपनाम दिया गया था। कुछ समय के बाद यात्री कारों मे सिंक्रोनस ट्रांसमिशन गियर बॉक्स ( सिंक्रोनाइज़र के साथ) आने के बाद भी, भारी ट्रकों, मोटरसाइकिलों और रेसिंग कारों के लिए नॉन सिंक्रोनस ट्रांसमिशन गियर बॉक्स का उपयोग होता रहा ताकि आवश्यक बल प्रदान किया जा सके या तेज शिफ्ट समय प्रदान किया जा सके।1929 मे कैडिलैक सिंक्रोमेश के साथ मैनुअल ट्रांसमिशन का उपयोग करने वाली पहली कार थी, जबकि अधिकांश कार कम्पनी ने कारों मे 1950 के दशक तक गैर-सिंक्रोनस ट्रांसमिशन का उपयोग करना जारी रखा। 1947 में पोर्श ने स्प्लिट रिंग सिंक्रोमेश सिस्टम का पेटेंट कराया, जो यात्री कारों के लिए सबसे जरूरी डिज़ाइन बन गया।1952 मे पोर्श 356 सभी फॉरवर्ड गियर पर सिंक्रोमेश के साथ ट्रांसमिशन का उपयोग करने वाली पहली कार बनी।1950 के दशक की शुरुआत में, अधिकांश कारों में केवल तीसरे गियर से दूसरे गियर में शिफ्ट के लिए सिंक्रोमेश था।1970 के दशक के अंत तक अधिकांश ट्रांसमिशन में तीन या चार फॉरवर्ड गियर ratio थे, हालांकि 1948 फेरारी 166इंटर और 1953 अल्फा रोमियो 1900 सुपर स्प्रिंट जैसी स्पोर्ट्स कारों में कभी-कभी पांच-स्पीड मैनुअल ट्रांसमिशन का उपयोग किया जाता था। 1980 के दशक के दौरान पांच-स्पीड ट्रांसमिशन गियर बॉक्स सभी कार कंपनीज द्वारा लगाया जाने लगा एवं  सभी फॉरवर्ड गियर वाली वाहनों पर सिंक्रोमेश का उपयोग होने लगा।1990 के दशक की शुरुआत में छह-स्पीड मैनुअल ट्रांसमिशन इंट्रोड्यूस हुआ ,जो की High performance वाहनों में उपयोग होने लगे 1990 मे बीएमडब्लू 850i और 1992 मे फरारी 456 में लगाया गया था। वैसे देखा जाय तो पहला 6-स्पीड मैनुअल ट्रांसमिशन 1967 अल्फा रोमियो 33 स्ट्रडले में पेश किया गया था। 2012 मे पोर्श 911 में पहला 7-स्पीड मैनुअल ट्रांसमिशन पेश किया गया था।

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गियरबॉक्स कैसे कार्य करता है



अगले आर्टिकल में हम जानेंगे, गियर बॉक्स कितने प्रकार के होते है और कैसे कार्य करते हैं।

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