आन्तरिक दहन इंजन(इंटरनल कंब्यूशन इंजन)



आन्तरिक दहन इंजन या अन्तर्दहन इंजन (internal combustion engine)

एक ऐसा इंजन जिसमें ईंधन एवं ऑक्सीजन के मिश्रण को सभी तरफ से बन्द एक दहन कक्ष में जलाया जाता है। दहन की इस क्रिया में हवा में मौजूद ऑक्सीजन ही सीधे काम में आती है। जिस बन्द कक्ष में दहन होता है उसे दहन कक्ष कहते हैं। ईंधन और वायु के मिश्रण को जलाने के लिये स्पार्क प्लग का उपयोग कर चिनगारी (स्पार्क) उत्पन्न कि जाती है या दूसरी तकनीक के द्वारा अत्यधिक दबाव पैदा किया जाने के कारण वे स्वयं जल उठते हैं। मिश्रण के जलने से उच्च ताप और दबाव पैदा होता है जिससे पिस्टन को चलाया जाता है (पिस्टन वाले इंजनों में) या टर्बाइन के ब्लेड घुमाये जाते हैं (गैस टर्बाइन मे) या रोटर घुमाया जाता है (वांकेल इंजन में), या एक जेट पैदा किया जाता है (जेट इंजन में)। इस प्रकार आन्तरिक दहन इंजन, रासायनिक ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलते हैं।

एक आन्तरिक दहन इंजन का सरलीकृत चित्र तथा उसकी कार्यप्रणाली

दहन की यह प्रक्रिया ऊष्माक्षेपी (Exothermic Reaction) होती है जो उच्च ताप एवं दाब वाली गैसें उत्पन्न करती है। ये गैसे दहन कक्ष में लगे हुए एक पिस्टन को धकेलती है। पिस्टन एक कनेक्टिंग रॉड के माध्यम से एक क्रेंक शाफ़्ट से जुड़ा होता है, इस प्रकार जब पिस्टन नीचे की तरफ जाता है तो कनेक्टिंग रॉड से जुड़ी क्रेंक शाफ़्ट घूमने लगती है, इस प्रकार ईंधन की रासायनिक ऊर्जा पहले ऊष्मीय ऊर्जा में बदलती है और फिर ऊष्मीय ऊर्जा यांत्रिक उर्जा में बदल जाती है।

Internal combustion Engine के विपरीत External इंजन (वाष्प इंजन) में कार्य करने वाला तरल (वाष्प) किसी अन्य कक्ष में किसी तरल को गरम करके प्राप्त किया जाता है। 

प्रायः पिस्टन युक्त इंटरनल इंजिन , जिसमें कुछ-कुछ समय के बाद दहन होता है,लगातार नहीं होता है। इन्हें ही अन्तर्दहन इंजन कहा जाता है।

 किन्तु जेट इंजन, अधिकांश रॉकेट एवं अनेक गैस टर्बाइन भी अन्तर्दहन इंजन की श्रेणी में आते हैं जिनमें दहन की क्रिया अनवरत रूप से चलती रहती है। इसके बारे मै हम आपको आगे बताएंगे।


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