मैनुअल ट्रांसमिशन
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आइए अब विभिन्न प्रकार के गियरबॉक्स को समझते है।
(1) Manual Transmission:-
मैनुअल ट्रांसमिशन एक गियर बॉक्स है आज अधिकतम वाहनों मे इसका उपयोग होता है, इसमें वाहन चालक द्वारा ही गियर लीवर के माध्यम से वाहन की गति के अनुसार गियर शिफ्ट करने होते है, कम गियर अनुपात अधिक टॉर्क, लेकिन कम गति प्रदान करते हैं, जबकि उच्च गियर अनुपात कम टॉर्क, लेकिन उच्च गति प्रदान करते हैं।
इंजन को ट्रांसमिशन से जोड़ने और अलग करने के लिए फ्लाईव्हील, प्रेशर प्लेट और क्लच का उपयोग किया जाता है। फ्लाईव्हील और प्रेशर प्लेट इंजन से जुड़े होते हैं।
गीयर बॉक्स के अंदर गियर की एक श्रृंखला होती है जो पहियों की गति और टॉर्क को नियंत्रित करती है। सभी गियर इनपुट,आउटपुट और काउंटर शाफ्ट्स पर एक सीरीज में व्यवस्थित होते हैं। प्रत्येक शाफ्ट में कई गियर होते है, और इन गियर को वाहन चालक द्वारा गीयर लिवर के माध्यम से वाहन की गति अनुसार जोडा या हटाया जा सकता है।
मैनुअल ट्रांसमिशन में मुख्य रुप से तीन प्रकार के गियरबॉक्स का उपयोग किया जाता है
(1)Sliding Mesh gearbox
शुरुआत मे स्लाइडिंग मेश मैनुअल गियरबॉक्स ट्रांसमिशन का उपयोग होता था। इसके गियर शिफ्टिंग में ले शाफ्ट पर लगे हुए गियर के साथ जुड़ने के लिए मुख्य शाफ्ट जो की स्प्लाइन होती है के साथ गियर को स्लाइड करना होता है। ले शाफ्ट के गियर्स को Rotational Motion मे परिवर्तित करने के लिए क्लच शाफ्ट गियर के साथ निरंतर चलता रहता है, जिससे आवश्यकतानुसार उच्च टॉर्क और उच्च गति के बीच परिवर्तन करता है। इस गियरबॉक्स में शिफ्टिंग के लिए एक विशेष तकनीक की आवश्यकता होती है जिसे डबल-डीक्लचिंग के रूप में जाना जाता है। इसमें Noise and Hard gear meshing होती है। इस समस्या से निकलने के लिए गियरबॉक्स मै सुधार होते गए । आमतौर पर, स्लाइडिंग मेश गियरबॉक्स अधिकतम 3-स्पीड मैनुअल शिफ्ट से लैस होते थे।
(2)Constant mesh gearbox
स्लाइडिंग मेश गीयर बॉक्स मै कई चेंजेज करने के बाद Constant mesh gearbox का अविष्कार हुआ । इसमे मुख्य रुप से , मुख्य शाफ्ट, ले शाफ्ट और क्लच शाफ्ट पर सभी गियर एक दूसरे के साथ कांस्टेंट मेश होते हैं। गियर शिफ्टिंग के लिऐ डबल-डीक्लचिंग की जगह डॉग क्लच नामक पार्ट का उपयोग किया गया,जो गियर को एंगेज करने के लिए स्प्लाइंड मुख्य शाफ्ट पर स्लाइड करते हैं। इस बदलाव से डबल-डीक्लचिंग को समाप्त कर दिया और शोर को कम कर दिया। स्पर गियर को बेवल गियर से बदल दिया। लेकिन गियर शिफ्टिंग इन बदलाव के बाद भी smooth नही थी और मेशिंग के दौरान शाफ्ट की अलग-अलग घूर्णी गति के कारण डॉग क्लच में ज्यादा वियर ऐंड टियर होती थी। जिसकी वजह से वाहन की मेंटेनेंस का खर्चा ज्यादा होने लगा। Constant mesh gearbox में एक रिवर्स गियर सहित 4 या 5-स्पीड गियर होते है।
(3)Synchro Mesh gearbox
मैनुअल ट्रांसमिशन में कई बदलावो के बाद सिंक्रोमेश गियरबॉक्स का अविष्कार किया, जिसका उपयोग वर्तमान के वाहनो मै किया जाता है। इस डिज़ाइन में, सुचारू गियर जुड़ाव की सुविधा के लिए गियर और कॉलर के बीच सिंक्रोनाइज़र (सिंक्रोमेश डिवाइस) का उपयोग किया जाता है। ये सिंक्रोनाइज़र कॉलर को गियर को इंगेज एवं डिस इंगेज करने का काम करते हैं, जब की दो कंपोनेंट के बीच गति का अंतर होता है।परिणाम स्वरूप पहले के डिज़ाइनों की तुलना में गियर शिफ्ट काफी सहज और अधिक उपयोग वाला हैं। सिंक्रोमेश गियरबॉक्स आधुनिक मैनुअल ट्रांसमिशन का मानक बन गया है, जो बेहतर ड्राइविंग आराम और ट्रांसमिशन के पार्टस पर कम घिसाव प्रदान करता है। इसमें आम तौर पर कई फॉरवर्ड गियर और एक रिवर्स गियर होते है, इसे विभिन्न प्रकार के वाहनों के लिए उपयोग किया जाता है।
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Knowledgeable, very good explanation, thanks sir 👍 🙏
जवाब देंहटाएंक्या आप हमे सेंसर्स के बारे मै बता सकते हैं।
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