कार इंजन कूलिंग क्या है और यह कैसे काम करता है।

 इंजन कूलिंग सिस्टम


कार इंजन कूलिंग क्या है और यह कैसे काम करता है।

वाहन के रखरखाव और अच्छी परफॉर्मेंस के लिऐ वाहन मै इंजन का कूलिंग सिस्टम एक महत्वपूर्ण भाग हैं। इंजन का कूलिंग सिस्टम इंजन मै काम करने वाले पार्टस से जो तापमान बढ़ता है, उस तापमान को मेनटेन करने का काम करता है जिससे इंजन को कोई नुकसान ना हो और इंजन सही तरीके से काम करे और इंजन की परफार्मेंस अच्छी बनी रहे। कूलिंग सिस्टम इस तापमान को हवा में ट्रांसफर करता है, जिससे इंजन को अधिक गरम होने से बचाया जा सकता है। अगर कूलिंग सिस्टम में कोई त्रुटि हो जाए तो इंजन के कई पार्टस मै फेलियर हो सकता है ,जिसके परिणामस्वरूप महंगी मरम्मत का खर्च।

कूलिंग सिस्टम मै कई पार्ट्स होते हैं ,जो की साथ साथ काम करते हुए इस सिस्टम की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाते हैं एवम इंजन को ज़्यादा गरम होने से बचाने के साथ इंजन की परफार्मेंस को बेहतर बनाए रखते हैं।
कूलिंग सिस्टम में मुख्यता रेडिएटर,वाटर पंप,थर्मोस्टेट सहित कई पार्ट्स होते हैं, जो इंजन के तापमान को नियंत्रित करने के लिए एक साथ काम करते हैं।
इस ब्लॉग में, हम जानेगे कूलिंग सिस्टम कितने  प्रकार के होते है और वह कैसे काम करते है, कूलिंग सिस्टम को कैसे मेनटेन करे ताकि आपके वाहन की दीर्घायु और दक्षता बनी रहे । इन सभी की जानकारी के लिए पढ़ना जारी रखें।
इंजन कूलिंग सिस्टम क्या है?
इंजन कूलिंग सिस्टम किसी भी दहन इंजन का एक महत्वपूर्ण भाग है, इसे इंजन के भीतर तापमान को  कंट्रोल करने के लिए इस प्रकार डिज़ाइन किया गया है। जिससे इंजन की परफोर्मेंस,दक्षता लंबे समय तक बनी रहे।
यह प्रणाली सिलेंडर, पिस्टन और सिलेंडर हेड जैसे महत्वपूर्ण पार्ट्स के काम करने से जो तापमान पैदा  होता है उसे दूर स्थानांतरित करके इंजन को ओवरहीटिंग होने से रोकती है।
कूलिंग सिस्टम मैन पार्ट्स
Radiator,Coolant,Water pump
Expansion tank,Cooling system pressure cap,Freeze plugs,
Hoses and pipes,Thermostat and
Cooling fans (इनके बारे मैं विस्तृत से अगले Blog में जानेंगे।
कूलिंग सिस्टम के प्रकार
इंजन चलने पर गर्मी पैदा करते है अगर इस हीट को बहार न निकला जाये तो इंजन का पिस्टन सीज हो सकता है ,क्योंकि ताप बढ़ने से धातु के आयतन मे प्रसार होता है इससे बचने के लिए इंजिन को ठंडा रखना पड़ता है।
इंजन मे दो तरह के कूलिंग सिस्टम होते है:-
(1) AIR COOLING (2) WATER COOLING
एयर कूलिंग सिस्टम
एयर कूलिंग सिस्टम का उपयोग ज्यादातर 2 स्ट्रोक  एवं 4स्ट्रोक इंजन की हल्की गाडियो मे होता है इसमे कूलिंग हवा के द्वारा किया जाता है, दो पहिया वाहन मै ज्यादातर इसी का प्रयोग किया जाता है

इंजन हेड के ऊपर फिन्स बने होते है जो की एल्यूमीनियम एलाय के होते है इन पर जब हवा टकराती है तब इनकी गर्मी Surrounding Atmosphere यानि वातावरण में चली जाती है और इंजन ठंडा हो जाता है, कुछ बड़े इंजिन मे इनके सामने फैन को लगाया जाता है जो इंजन के तापमान को जल्दी बैलेंस कर देता है। इन गाडियो की दक्षता कम होती है इन्हे दूर तक नही चलाया जा सकता है।

एयर कूलिंग सिस्टम तापमान को नष्ट करने के लिए उपयोग की जाने वाली सबसे प्रचलित और सरल विधियों में से एक हैं। वाहन के इंजन के पार्ट्स के तपमान को कम करने के लिए डायरेक्ट हवा का उपयोग किया जाता हैं। इंडस्ट्रियल इंजन मै  तापमान को कम करने के लिए एयर-कूल्ड हीट एक्सचेंजर्स या पंखे का उपयोग किया जाता है।
एयर कूलिंग सिस्टम लागत मै काम और इंस्टाल करने में अपेक्षाकृत आसान होते हैं, जो उन्हें छोटे से मध्यम स्तर के अनुप्रयोगों के लिए उपयुक्त बनाते हैं। उच्च तापमान वाले क्षेत्र या कम वायु प्रवाह वाले वातावरण में उनकी दक्षता सीमित हो सकती है।

वॉटर कूलिंग सिस्टम

वॉटर कूलिंग सिस्टम के भी दो प्रकार होते है :

1 ) फोर्स्ड कूलिंग सिस्टम
2 ) थर्मो साइफन कूलिंग प्रणाली
इनमे से फोर्स्ड कूलिंग सिस्टम प्रणाली का प्रयोग ही ज्यादातर किया जाता है
फोर्स्ड कूलिंग सिस्टम

इसमें कूलिंग के लिए पानी के साथ कूलेंट का प्रयोग किया जाता है। इंजन ब्लॉक मे वाटर जैकेट्स (Water Jackets ) बने होते है, इन वाटर जैकेट्स मै से तापमान को नियंत्रित रखने के लिए कूलेंट को गुजारा जाता है जिससे इंजन की गर्मी कूलेंट में चली जाती है और इंजन का तापमान  नियंत्रित हो जाता है

रेडिएटर में पानी व कूलैंट मौजूद होता है जो रेडिएटर के नीचे से होस पाइप के द्वारा वाटर पंप में जाता है वाटर पंप पानी के फ्लो यानि बहाव को बनाये रखता है ये पंप पुल्ली व बेल्ट से जुड़ा होता है जो क्रैंक से चलता है इसी पंप के साथ आगे फैन जुड़ा होता है जो रेडियेटर को भी ठंडा करता है, वॉटर जैकेट में पानी सर्कलेट होता रहता है और धीरे-धीरे गर्म हो जाता है जब वाटर का तापमान 80-100 डिग्री तक पहुँच जाता है तब उस पानी को निकलना पड़ता है इसके लिए इंजन मे थर्मोस्टेट वाल्व लगा होता है ये प्राय तब तक बंद रहता है जब पानी का तापमान 80 से 100 डिग्री तक नही पहुँचता है (हर वाहन का तापमान अलग अलग हो सकता है,उचीत तापमान पर ये खुल जाता है और गर्म पानी रेडियेटर में चला जाता है और रेडिएटर के कोर से होकर गुजरता है कोर कई एल्युमीनियम या कॉपर ट्यूब्स का बना होता है जब इस कोर पर हवा पड़ती है तब यह गर्मी बाहर के वातावरण मे चली जाती है जब ये ठंडी हो जाती है तो उसे वापस इंजन में भेजा जाता है।
थर्मो साइफन कूलिंग प्रणाली
ये भी फोर्स्ड कूलिंग सिस्टम प्रणाली की तरह ही होता है इसमें केवल रेडियेटर को इंजन से कुछ ऊपर रखा जाता है, इसमें कोई वाटर पंप नहीं लगा होता है, ये सिस्टम वैज्ञानिक सिद्धांत पर कार्य करता है  गर्म पानी ठन्डे पानी की तुलना में हल्का होता है और हल्की वास्तु तैरकर सदैव ऊपर आ जाती है रेडियेटर के ऊँचा होने के कारण पानी रेडियेटर द्वारा इंजन के वाटर जैकेट में चला जाता है जब इंजन चलता है तब ये पानी गर्म होता है और ठन्डे पानी के ऊपर तैरता है और इस प्रकार रेडियेटर से ठंडा पानी सदैव आता रहता है
कूलिंग सिस्टम के लाभ
कार शीतलन प्रणाली का प्राथमिक कार्य इंजन के तापमान को नियंत्रित करना है। आंतरिक दहन इंजन ऑपरेशन के दौरान महत्वपूर्ण मात्रा में गर्मी उत्पन्न करते हैं,और यदि नियंत्रित ना किया जाए तो यह गर्मी इंजन पार्टस को विकृत, दरार या पूरी तरह से खराब कर सकती है।
शीतलन प्रणाली इंजन को उसकी आदर्श तापमान सीमा के भीतर बनाए रखने में मदद करती है, जिससे कुशल संचालन सुनिश्चित होता है और ओवरहीटिंग को रोका जा सकता है।
इंजन क्षति की रोकथाम: अधिक गरम होने से इंजन को गंभीर क्षति हो सकती है, जिसमें विकृत सिलेंडर हेड, उड़ा हुआ गैसकेट और यहां तक कि इंजन ब्लॉक दरारें भी शामिल हैं। एक ठीक से काम करने वाली शीतलन प्रणाली महत्वपूर्ण इंजन पार्टस से अतिरिक्त गर्मी को दूर करके ऐसी क्षति को रोकती है।
बेहतर ईंधन दक्षता: एक कुशलतापूर्वक संचालित इंजन अधिक प्रभावी ढंग से ईंधन की खपत करता है। जब इंजन को सही तापमान पर रखा जाता है, तो ईंधन दहन अधिक पूर्ण होता है, जिससे ईंधन दक्षता में सुधार होता है। अधिक गर्म होने से ईंधन समय से पहले वाष्पित हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप ऊर्जा बर्बाद हो सकती है।
विस्तारित इंजन जीवनकाल: ओवरहीटिंग को रोककर और इंजन पार्टस पर टूट-फूट को कम करके, एक कार शीतलन प्रणाली इंजन की दीर्घायु में योगदान करती है।
जो इंजन अपने उच्चतम तापमान सीमा के भीतर काम करते हैं, उनमें समय से पहले विफलता की संभावना कम होती है और उनके जीवनकाल में कम मरम्मत की आवश्यकता होती है।

इंजन के कूलिंग सिस्टम के बारे में आप यहाँ इस लिंक से विस्तार से जान सकते है



टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

कार में सेंसर के प्रकार और कार्यप्रणाली

कार इंजन के विभिन्न प्रकार

स्टीयरिंग सिस्टम वर्किंग