Muffler and Catalytic Converter
Muffler/Silencer
मफलर और साइलेंसर एक ही चीज है। उत्तरी अमेरिकी और ऑस्ट्रेलियाई में मफलर कहा जाता है, जबकि ब्रिटिश में इसे साइलेंसर कहा जाता है। मफलर वाहन के निकास प्रणाली का एक हिस्सा है जो इंजन के पिस्टन और वाल्व द्वारा उत्पन्न शोर को कम करता है। जब निकास वाल्व खुलता है, तो निकास प्रणाली में बड़ी मात्रा में जली हुई गैसेस निकलती हैं, जो शक्तिशाली ध्वनि तरंगें बनाती हैं। मफलर द्वारा इन ध्वनियों के शोर को कम किया जाता है।
Car mufflerमफलर, जिसके माध्यम से आंतरिक-दहन इंजन से निकलने वाली गैसों को बाहर निकालना और इन गैसेस से पैदा होने वाले इंजन के शोर को कम करने का होता है। मफलर का डिजाइन ऐसा होना चाइए की जब एक्जास्ट वाल्व खुलता है तो एक्जास्ट गैसों के वेग को कम करके इंजन द्वारा पैदा शोर को कम करना होता है।मफलर में उपयोग की जाने वाली विशिष्ट ध्वनि-अवशोषित सामग्री महीन रेशों की एक मोटी परत होती है,तंतु ध्वनि तरंगों के कारण कंपन करते हैं, जिससे ध्वनि ऊर्जा ऊष्मा में परिवर्तित हो जाती है। मफलर आम तौर पर वेव्स (तरंगे ) को दो घटकों में अलग करता हैं ये तरंगे अलग-अलग रास्तों का अनुसरण करते हुए अंत मै एक साथ बाहर निकलती हैं और ध्वनि को कम कर देते हैं।मफलर मै साउंड को ऑब्जर्व करने वाला बारीक फैब्रिक की मोटी परत होती है और इंजन से पैदा होने वाली तेज साउंड से इस फाइबर मै कंपन होने के कारण साउंड एनर्जी ऊष्मा मै परिवर्तित हो जाती है।
एक्जास्ट पाइप से हानिकारक गैसेस निकलती है जैसे बिना जले हुए हाइड्रोकार्बन,कार्बन मोनो ऑक्साइड, नाइट्रोजन और सल्फर डाइऑक्साइड और विभिन्न एसिड निकलते हैं।जो की वायुमंडल को दूषित करती है एवम मानव जीवन के लिए खतरनाक होती है।समय समय पर इन हानिकारक गैसेस के प्रभाव को कम करने के लिए कई अविष्कार हो रहे हैं एवम भारत सरकार भी इस के लिए अग्रणी है, जिसे की भारत स्टेज के नाम से जाना जाता है।भारत सरकार के आदेश अनुसर सभी ऑटोमोबाइल कंपनी को इसकी पालना करनी होगी।
कैटेलिक कन्वर्टर
The History Of Catalytic Converter
कैटेलिटिक कनवर्टर का आविष्कार एक फ्रांसीसी मैकेनिकल इंजीनियर और कैटेलिटिक ऑयल रिफाइनिंग के विशेषज्ञ यूजीन हौड्री ने किया था, जो संयुक्त राज्य अमेरिका में रहते थे। 1950 के आसपास, जब लॉस एंजिल्स में स्मॉग के शुरुआती अध्ययन के नतीजे प्रकाशित हुए, स्मॉग एक प्रकार का वायु प्रदूषण है जो दृश्यता को कम कर सकता है और अक्सर शहरी क्षेत्रों में देखा जाता है। यह कारों, बिजली संयंत्रों और औद्योगिक बॉयलरो जैसे विभिन्न स्रोतों से प्रदूषकों के संयोजन के कारण होता है, जो जमीनी स्तर पर ओजोन बनाने के लिए सूर्य के प्रकाश के साथ प्रतिक्रिया करते हैं। यह प्रतिक्रिया धुंध के साथ मिलकर एक कणीय बादल भी बना सकती है जिसमें संघनित सामग्री होती है।हौड्री ने वाहनों से हानिकारक वायु प्रदूषण को रोकने के लिए गैसोलीन इंजन के लिए कैटीलिक कन्वर्टर्स विकसित करने के लिए ऑक्सी-कैटलिस्ट कंपनी की स्थापना की।जिसके के लिए उन्हें पेटेंट(US2742437) से सम्मानित किया गया था। लेकिन व्यापक रूप से उपयोग करने के लिए तब तक इंतजार करना पड़ा जब तक गैसोलीन से एंटी-नॉक एजेंट टेट्रा एथिल लेड को समाप्त नहीं कर दिया गया, क्योंकि इस एजेंट से कन्वर्टर की सतह पर एक कोटिंग बन जाने से कनवर्टर मै डिफेक्ट हो जाता था जिससे यह प्रभावी रूप से काम नही कर पाता था।1973 में कैटेलिटिक कनवर्टर का रेगुलर प्रोडक्शन एंगेलहार्ड कॉर्पोरेशन मे जॉन जे मूनी और कार्ल डी ने शुरू किया।
Three way Catalytic Converter
कैट्लिक कन्वर्टर का मुख्य कार्य
इंजन के एक्जास्ट स्ट्रोक से निकलने वाली हानिकारक गैस जैसे:
*NOx नाइट्रोजन ऑक्साइड (NO) या नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO 2 ) गैस हो सकती है जो धुंध और अम्लीय वर्षा पैदा करती है इसे कैटलिक कन्वर्टर नाइट्रोजन मैं परिवर्तित करता है।
*ईंधन के जलने पर कार्बन मोनो ऑक्साइड बनती है। यह एक जहरीली गैस है जो सास लेने पर जानलेवा हो सकती है। इसे कार्बन डाइ ऑक्साइड में ऑक्सीकरण करता है।
*हाइड्रोकार्बन बहुत हानिकारक होते हैं जिनसे धुंध भी पैदा हो सकती है। तो कैटलिक कन्वर्टर बिना जले हाइड्रोकार्बन (HC) का कार्बन डाइऑक्साइड और पानी में ऑक्सीकरण करते हैं।
जैसा कि उनके नाम से पता चलता है, उत्प्रेरक कन्वर्टर्स में उत्प्रेरक होते हैं। उत्प्रेरक रासायनिक प्रतिक्रिया को तेज़ी से होने में मदद करके काम करता है। तो आइए देखें कि गैसोलीन इंजन के लिए तीन-तरफ़ा उत्प्रेरक कनवर्टर में क्या होता है।
उत्प्रेरक कनवर्टर के अंदर सिरेमिक ब्लॉक होते हैं, जो मधुमक्खी के छत्ते की तरह हज़ारों सूक्ष्म नलिकाओं से बने होते हैं। यह गैसों को पार करने के लिए एक उच्च सतह क्षेत्र प्रदान करता है। असली काम इन की सतह पर पैलेडियम-रोडियम उत्प्रेरक का लेप होता है जो तीन मुख्य क्रियाओं को एक साथ करता है, यानी NOx, CO और HC का ऑक्सीकरण करता हैं। जैसा की बताया गया है।
कार्बन मोनो ऑक्साइड (CO)→कार्बन डाइ ऑक्साइड (CO2)
हाइड्रोकार्बन (HC) → जल (H2O)
नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) → नाइट्रोजन (N2)
Bharat Stage
भारत स्टेज (बीएस) उत्सर्जन मानक ऐसे नियम हैं जो भारत में वाहनों के टेल पाइप से आने वाले वायु प्रदूषकों की मात्रा को नियंत्रित करते हैं। मानक मोटर वाहनों, गैर-सड़क डीजल इंजन और बिजली उत्पादन सहित सभी वाहनों पर लागू होते हैं। मानक पहली बार 2000 में पेश किए गए थे और ये यूरोपीय उत्सर्जन मानदंडों पर आधारित हैं।
अभी हम BS6 का पालन कर रहे है।
भारत स्टेज या बीएस उत्सर्जन मानक सरकार द्वारा स्थापित उत्सर्जन मानक हैं जिनका अनुपालन सभी मोटर वाहनों को करना होगा यदि उन्हें भारत में बेचा और चलाया जाना है। वर्तमान में, भारत में बेचे और पंजीकृत सभी नए वाहन उत्सर्जन मानकों के बीएस-VI पुनरावृत्ति के अनुरूप होने चाहिए।
Good information 👍
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