टॉर्क कनवर्टर ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन
Torque converter
टॉर्क कनवर्टर,ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन वाले वाहन में प्राइम मूवर को ऑटोमैटिक गियर ट्रेन से जोड़ता है, जो फिर लोड को वहन के पहियों तक ट्रांसफर करता है। टॉर्क कनवर्टर इंजन के फ्लाइवहील और ट्रांसमिशन के बीच स्थित होता है। मैनुअल ट्रांसमिशन में यह काम मैकेनिकल क्लच करता है।हा
इड्रोलिक सिस्टम की मदद से, टॉर्क कनवर्टर कार को रुकने और चलने की अनुमति देता है। टॉर्क कनवर्टर इंजन से ट्रांसमिशन तक पावर भी स्थानांतरित करता है और ये पावर गाड़ी की स्पीड के अनुसार गीयर ट्रेन से वाहन को चलाने मै सहायता करती हैं। टॉर्क कनवर्टर का एक अन्य कार्य यह है कि यह कार ट्रांसमिशन और इंजन के बीच कई घुमावों की अनुमति देता है।
टॉर्क कन्वर्टर्स के पांच मुख्य भाग होते हैं:
इंपेलर, टरबाइन, स्टेटर, एक क्लच और ट्रांसमिशन ऑयल होते है।
टॉर्क कन्वर्टर के अंदर लगा इम्पेलर एक तरह का सेंट्रीफ्यूगल पंप होता है। जैसे ही यह घूमता है, ट्रांसमिशन ऑयल बाहर की ओर फेंका जाता है, ठीक वैसे ही जैसे वॉशिंग मशीन का स्पिन चक्र पानी और कपड़ों को वॉश टब के बाहर फेंकता है। जैसे ही ट्रांसमिशन ऑयल बाहर की ओर फेंका जाता है, एक वैक्यूम बनता है जो केंद्र में अधिक मात्रा मै ट्रांसमिशन ऑयल को अंदर खींचता है।
इम्पेलर मै टिल्टेड ब्लेड होते है, जो कुछ हद तक पंखे जैसा दिखता है। इम्पेलर को इंजन द्वारा यांत्रिक रुप मै घुमाया जाता है। जैसे ही यह घूमता है, इम्पेलर अपने ब्लेड के माध्यम से ट्रांसमिशन ऑयल को धकेलता है यह जितनी तेजी से चलता है, ट्रांसमिशन ऑयल उतनी ही तेजी से चलता है और यह टरबाइन में चला जाता है, टरबाइन मै लगभग इम्पेलर के समान ब्लेड होती है,जो इम्पेलर के ठीक विपरीत होती है। टरबाइन के कोणीय ब्लेड से टकराने वाले ट्रांसमिशन ऑयल के कारण टरबाइन घूमना शुरू कर देता है, जो वाहन में ट्रांसमिशन शाफ्ट और पंप को घुमाता है। टरबाइन के केंद्र के माध्यम से ट्रांसमिशन ऑयल को फिर से विपरीत दिशा मै भेजा जाता है, जहां यह फिर से इम्पेलर ब्लैड से टकराता है। यहीं से स्टेटर का काम शुरू होता है,स्टेटर टॉर्क कनवर्टर के केंद्र में लगा होता है। इसमें भी पंखे के प्रकार की टिल्टेड ब्लेडों की एक और श्रृंखला होती है,ताकि जब ट्रांसमिशन ऑयल उनमें प्रवाहित हो, तो यह फिर से दिशा उलट दे। स्टेटर ट्रांसमिशन ऑयल को जो इंजन की विपरीत दिशा में घूम रहा है, कनवर्टर हाउसिंग से टकराने और उसे धीमा करने से रोकता है। टॉर्क कनवर्टर में एक हाउसिंग होती है जो इंजन एवम इम्पेलर से जुडी होती है। वाहन की ईंधन दक्षता बढ़ाने के लिए अधिकांश टॉर्क कन्वर्टर्स एक लॉक-अप क्लच का उपयोग किया जाता हैं जो इम्पेलर और टरबाइन को उच्च गति पर एक साथ लॉक करता है।
टॉर्क कनवर्टर इंजन को अधिक शक्ति बनाने में तेजी से घूमने मै मदद करता है, और आसानी से उस शक्ति को ट्रांसमिशन/ड्राइव ट्रेन में स्थानांतरित करता है, जैसे मैन्युअल ट्रांसमिशन में क्लच द्वारा इंजन के टॉर्क को गियरबॉक्स में स्थानांतरित किया जाता है।
टॉर्क कनवर्टर केसिंग जो की टरबाइन के हाउसिंग के भीतर फ्लाईव्हील से जुड़ने से क्रैंकशाफ्ट के घूमने के समान अनुपात से घुमाता है। इम्पेलर ट्रांसमिशन ऑयल को टरबाइन की ब्लेड्स में प्रवाहित करता है जिस से यह घूमता है या टॉर्क को ट्रांसमिशन में संचारित करता है।
फार्मूला
यदि टॉर्क को (T), फोर्स को (F) और लंबाई को (L) तब यदि = 2F x L/2 (यदि फोर्स दोगुना हो जाता है, तो लंबाई आधी करने पर समान टॉर्क विकसित होगा। इसी तरह F/2 x 2L (यदि फोर्स आधा हो जाता है, तो लंबाई दोगुनी करने पर समान टॉर्क विकसित होगा।)
टॉर्क कनवर्टर के भीतर,चारो कंपोनेंट के
अलग-अलग रोटेशनल गति को ट्रांसमिशन ऑयल का लेवल ही पावर के प्रेशर को नियंत्रित करते हैं।
एफिसेंसी
स्टेटर की सबसे बड़ी चुनौती होती है,टोक़ कनवर्टर को अधिक कुशल बनाना एवम टरबाइन से निकलने वाले तरल पदार्थ को पुन्हे विपरित दिशा मै भेज कर उस गतिज ऊर्जा को एकत्र करना और उसे वापस साइकिल में डालना और टॉर्क कन्वर्टर्स को अधिक एक्सिलरेशन के लिए टॉर्क को कई गुणा करना होता है।
लेकिन टॉर्क कन्वर्टर्स 100 प्रतिशत कुशल नहीं होते है, क्योंकि इस प्रक्रिया में घर्षण और कुछ काइनेटिक(गतिज) ऊर्जा की हानि होती है। टॉर्क कन्वर्टर्स बहुत कम गति पर सबसे कुशल होते हैं।
सामान्य समस्याएं
टॉर्क कनवर्टर के फेल(Break Down) होने की बहुत सी वजह हो सकती हैं, जिनमें से कुछ तो बहुत खतरनाक हो सकती हैं। कनवर्टर मै लगातार स्लिपेज की वजह से ओवरहीटिंग हो सकती है, जिस की वजह से कनवर्टर की ऑयल सील लीक हो सकती है ओर ट्रांसमिशन ऑयल का रिसाव शुरू हो जाता है और जब सिस्टम में ट्रांसमिशन ऑयल खत्म हो जाएगा, तो यह पूरी तरह से काम करना बंद कर सकता है।
स्टेटर क्लच भी सीज या टूट सकता है।सीज के दौरान, क्लच के इंटरनल और एक्सटर्नल एलिमेंट्स स्थायी रूप से लॉक हो सकते हैं और इस वजह से फ्यूल एफिशिएंसी कम हो जायेगी । यदि स्टेटर क्लच पूरी तरह से टूट जाता है, तो स्टेटर नही घूमेगा और वाहन का ब्रेक डाउन हो जाएगा।
इम्पेलर ब्लेड या टरबाइन की ब्लैड बहुत ज्यादा घीसावत या टूट जाने की कंडिशन के ज्यादातर मामलों में टॉर्क कनवर्टर उतनी कुशलता से काम नहीं करेगा, जिससे आपका फ्यूल माइलेज कम हो जाएगा या वाहन का ब्रेक डाउन हो जायेगा। कई बार बडी दुर्घटना भी हो सकती है।
टॉर्क कनवर्टर के अंदर बहुत अधिक दबाव और गर्म ट्रांसमिशन ऑयल घूम रहा होता हे । यदि ब्रेथर वाल्व किसी वजह से बंद हो जाता है तो वह दबाव बहुत अधिक बढ सकता है और हाऊसिंग फट जाए। यदि हाऊसिंग टूट जाता है तो बडी दुर्घटना भी हो सकती है।
यदि आपका कोई सवाल हो तो प्लीज सरच करे।
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