टर्बोचार्जर और इंटरकूलर
एक टर्बोचार्जर और इंटरकूलर इंजन के सिलेंडरों में ऑक्सीजन युक्त हवा की मात्रा बढ़ाने के लिए मिलकर काम करते हैं, जिससे अधिक शक्ति और बेहतर ईंधन दहन हो सकता है।
टर्बोचार्जर, जिसे अक्सर "टर्बो" कहा जाता है, आधुनिक आईसी इंजनों मै एक इंपोर्टेंट पार्ट होता है। टर्बो इंजन के दहन के बाद निकलने वाली निकास गैस को कंप्रेस्ड करके, इंजन मै आने वाली फ्रैश हवा के साथ मिलती है, जिससे इंजन के सिलेंडरों को अधिक मात्रा में ऑक्सीजन मिलती है यह क्रिया आईसी इंजनों के प्रदर्शन और दक्षता को बढ़ाता है, यह संपीड़ित हवा अधिक कुशल दहन की अनुमति देती है, जिसके परिणामस्वरूप अधीक पावर उत्पन होती है और ईंधन दक्षता में सुधार होता है। टर्बोचार्जर ने ऑटोमोटिव उद्योग में क्रांति ला दी है, जिससे छोटे इंजन एमिशन को कम करते हुए बड़े इंजनों की शक्ति का उत्पादन करने में सक्षम हो गए हैं। वे अब आमतौर पर स्पोर्ट्स कारों से लेकर ट्रकों तक के वाहनों की एक विस्तृत श्रृंखला में पाए जाते हैं।
टर्बोचार्जर क्या है?
टर्बोचार्जर, जिसे टर्बो के रूप में भी जाना जाता है, का नाम ग्रीक शब्द "τωρβη" (जिसका अर्थ है जागना") और लैटिन शब्द "टर्बो" (जिसका अर्थ है स्पिनिंग टॉप ) से लिया गया है। यह टरबाइन द्वारा संचालित एक फोर्स इंडक्शन डिवाइस के रूप में कार्य करता है, जो दहन कक्ष में अतिरिक्त हवा डालकर इंजन की दक्षता और शक्ति को बढ़ाता है। यह बिना टर्बो इंजनों की तुलना में इंजन आउटपुट को काफी बढ़ा देता है, क्योंकि टरबाइन अधिक हवा ला सकता है।टर्बोचार्जिंग इंजन को बड़ा किए बिना इंजन के प्रदर्शन को बढ़ाने का एक प्रभावी तरीका है।
इंजन में हवा को संपीड़ित करता है, जिससे सिलेंडर में ऑक्सीजन युक्त हवा की मात्रा बढ़ जाती है। इससे इंजन में वजन बढ़ाए बिना अधिक शक्ति प्राप्त हो सकती है। टर्बोचार्जर निकास गैसों में ऊष्मा ऊर्जा द्वारा संचालित होता है।
टर्बोचार्जर के दो मुख्य खंड होते हैं: टरबाइन और कंप्रेसर। टरबाइन, टरबाइन व्हील और टरबाइन हाउसिंग से बना है और कंप्रेसर ,कंप्रेसर व्हील और कंप्रेसर हाउसिंग से बना है। दोनों खंड एक शाफ्ट द्वारा एक साथ जुड़े होते हैं।
टर्बोचार्जर के प्रार्ट्स और वे कैसे काम करते हैं।
टरबाइन व्हील: कंप्रेसर को चलाने के लिए एक्जास्ट एनर्जी को शाफ्ट पावर में परिवर्तित करता है ।
टरबाइन हाऊसिंग: टरबाइन व्हील में एक्जास्ट गैस का मार्गदर्शन करता है।
कंप्रेसर व्हील: इंजन में हवा पंप करता है।
कंप्रेसर हाऊसिंग: संपीड़ित हवा एकत्र करता है और इसे इंजन तक भेजने का काम करता है ।
बॉल बेयरिंग: टर्बो के घूमने वाले पार्टस को घर्षण रहित काम करने मै सहायता करता है।
केंद्र हाऊसिंग: घूर्णन समूह का समर्थन करता है
बैकप्लेट: कंप्रेसर हाऊसिंग को सपोर्ट करना है और एक एयरो सतह प्रदान करता है।
ऑयल फीड लाइन: शाफ्ट और बीयरिंग को लुब्रीकेट करता है, घर्षण को कम करता है ।
टर्बोचार्जर कंप्रेसर को ताकत देने के लिए इंजन की निकास गैसों से गतिज ऊर्जा का उपयोग करके काम करता है। इंजन के इनलेट मैनिफोल्ड में प्रवेश करने से पहले कंप्रेसर इनटेक एयर पर दबाव डालता है। यह संपीड़न अधिक हवा को दहन कक्ष में प्रवेश करने की अनुमति देता है, जिसका अर्थ है कि अधिक शक्ति के लिए अधिक ईंधन प्रदान किया जा सकता है। इंजन को दी जाने वाली हवा की मात्रा टरबाइन की गति से निर्धारित होती है, जो दहन स्थान से निकलने वाली निकास गैस की मात्रा से निर्धारित होती है।
टर्बोचार्जर छह मुख्य प्रकार के होते हैं: सिंगल, ट्विन, वेरिएबल ज्योमेट्री, इलेक्ट्रिक, ट्विन-स्क्रॉल और वेरिएबल ट्विन-स्क्रॉल। प्रत्येक प्रकार के अपने फायदे हैं, इसलिए इंजन के प्रकार अनुसार एक को चुनना महत्वपूर्ण है।
There are a number of different types of turbocharger used within the automotive industry:
Single-Turbo
Twin-Turbo
Twin-Scroll Turbo
Variable Geometry Turbo
Variable Twin Scroll Turbo
Electric Turbo
प्रत्येक प्रकार के टर्बोचार्जर के बारे में हम नेक्स्ट चैप्टर मै जानेंगे।
Intercoller
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें