एयर ब्रेक सिस्टम

एयर ब्रेक सिस्टम



एयर ब्रेक सिस्टम मै किसी वाहन को धीमा करने या रोकने के लिए ब्रेक पैड या ब्रेक शूज पर दबाव डालने के लिए कंप्रेस्ड हवा का उपयोग करते है। 

एयर ब्रेक सिस्टम के मुख्य कंपोनेंट निम्नलिखित होते है। 

कंप्रेसर

हवा पर दबाव डालता है और एक गवर्नर द्वारा नियंत्रित किया जाता है जो हवा के दबाव को कुछ सीमाओं के भीतर मेनटेन रखता है।

रिजर्वोयर्स

संपीड़ित हवा को तब तक संग्रहीत कर के रखता है जब तक ब्रेक लगाने के लिए इसकी आवश्यकता न हो। 

फुट वाल्व

ब्रेक पेडल दबाए जाने पर रिजर्वोयर्स से संपीड़ित हवा के प्रवाह को नियंत्रित करता है।

ब्रेक चैंबर

हवा के दबाव को यांत्रिक बल में परिवर्तित करता है जो ब्रेक शूज या पैड को सक्रिय करता है।

ब्रेक शूज और ड्रम या रोटार और पैड: 

आपस मै घर्षण पैदा करते हुए जो वाहन को रोकते है 

वर्किंग एयर ब्रेक सिस्टम  



ड्राइवर फुट वाल्व ट्रेडल को दबाता है, जो हवा को आगे और पीछे के ब्रेक चैंबर में प्रवाहित करने की अनुमति देता है। ब्रेक चैम्बर पुश रॉड्स स्लैक एडजस्टर्स को मूव करते हैं, जो "एस" कैम को घुमाता हैं।इससे ब्रेक शूज़ और ड्रम या रोटर्स के बीच घर्षण होता है, जो वाहन को धीमा या बंद कर देता है। ड्राइवर फ़ुट वाल्व ट्रेडल को छोड़ता है, जो फ़ुट वाल्व के माध्यम से हवा को बाहर निकलने की अनुमति देता है और ब्रेक को रिलीज करता है । इसे ऐसे भी समझ सकते है।

रिजर्वोयर्स द्वारा एयर को ब्रेक वाल्वस तक भेजा जाता है। वाल्वों से हवा ब्रेक कक्षों तक पहुंचाई जाती है। चैम्बर कैलीपर को सक्रिय करता है, जो बल को ब्रेक पैड में स्थानांतरित करता है। जैसे ही आंतरिक ब्रेक पैड ब्रेक रोटर से संपर्क करता है, कैलीपर गाइड पिन पर स्लाइड करता है।

एयर ब्रेक सिस्टम के कुछ और भी कंपोनेंट्स होते हैं,इन सभी कंपोनेंट्स का एयरब्रेक सिस्टम मै बहुत ही महत्वपूर्ण काम होता है।

एयर ड्रायर: नमी के कणों को सिस्टम में प्रवेश करने से रोकता है 

क्विक-रिलीज़ वाल्व: हवा के प्रेशर को तुरंत रिलीज करने का काम करता है जिससे ब्रेक रिलीज हो सके और वाहन अपनी सामान्य गति से चल सके।

एयर ब्रेक सिस्टम जितना फायदेमंद है उतना ही अधिक  जटिल भी है क्योंकि एयर ब्रेक सिस्टम की सेफ्टी और कार्यक्षमता इसके सभी हिस्सों के उचित रखरखाव और समय से कैलिबिरेशन पर निर्भर करती है। कानून के अनुसार ड्राइवरों को प्रत्येक यात्रा से पहले सिस्टम की जांच करनी होती है,और ऑथराइज्ड कम्पनी वर्कशॉप मै हर 25,000 से 50,000 kms पर इसकी जांच करानी चाहिए। 


 


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