डिफरेंशियल वर्किंग


डिफरेंशियल

वाहन में डिफरेंशियल एक महत्वपूर्ण कंपोनेंट होता हैं। जिसमें रिंग गियर, पिनियन गियर, स्पाइडर गियर, साइड गियर और डिफरेंशियल हाउसिंग मुख्य पार्ट्स होते है। ये हिस्से एकसाथ काम करते हुए पहियों के बीच पावर वितरित करने और स्थिर और कुशल ड्राइविंग प्रदान करने के लिए पहियों को अलग-अलग गति से घूमने की अनुमति देते है।
डिफरेंशियल टाइप्स एंड वर्किंग  
चलते चलते वाहन की दिशा बदलना या वाहन को मोड़ना काफी सरल है केवल स्टीयरिंग व्हील को उस दिशा में घुमाएँ और वाहन की दिशा बदल जाएगी या वाहन उस दिशा मै मूड जायेगा ऐसा इतना आसान नहीं होता है क्योंकि वाहन को टर्न करते समय एक्सल शाफ्ट से जुड़े प्रत्येक पिछले पहिये को अलग अलग आरपीएम की आवश्यकता होती है।इस प्रक्रिया के पीछे एक मैकेनिज्म काम करता है जो इतना सरल नहीं होता है।
इस मैकेनिज्म को डिफरेंशियल यूनिट कहा जाता है।

ऑटोमोबाइल में  डिफरेंशियल एक गियर मैकेनिज्म है जो ड्राइविंग आसान /स्मूथ करने मै मदद करता है।इस मैकेनिज्म मै कई पार्ट्स काम करते है,जिनके बारे मै विस्तार से हम जानेंगे। 
आइए इसकी कार्य क्षमताओं,मैकेनिज्म और प्रकारों सहित अंतर के बारे में सब कुछ जानें।

डिफरेंशियल एक तंत्र है जो एक्सल से जुड़े दोनों पहियों में पावर ट्रांसमिट करने और आरपीएम को कंट्रोल करने के लिए कई गियर का उपयोग करता है। वाहन की दिशा बदलते समय यह प्रत्येक एक्सल शाफ्ट पर आवश्यक रोटेशनल शक्ति और गति निर्धारित करता है और भेजता है।

तंत्र में रिंग गियर, ड्राइव शाफ्ट, बेवल गियर और डिफरेंशियल बेवल गियर सहित विभिन्न गियर की इंटर कनेक्टेड सिरीज होती है। ये सभी पार्ट्स डिफरेंशियल हाऊसिंग के भीतर असेंबल्ड होते हैं। यह सीलबंद बॉक्स रियर-साइड एक्सल के दो शाफ्ट के बीच जुड़ा रहता है


वाहन को मोड़ते समय डिफरेंशियल का कार्य करना आवश्यक है। यह बाएं और दाएं पहियों पर सही पावर वितरण में मदद करता है। जब एक कार मोड़ पर मुड़ती है तो भीतरी तरफ के पहिये को बाहरी पहिये की तुलना में कम टॉर्क मिलता है जिससे मोड़ के दौरान वाहन पर नियंत्रण आसान होता है। 
ये कार्य डिफरेंशियल द्वारा किया जाता है 

इस मैकेनिज्म के महत्व को समझने के लिए मान लें कि किसी वाहन में कोई डिफरेंशियल नहीं है। इस स्थिति में वाहन के दोनों तरफ के पहियों को हर बार एक समान आरपीएम मिलेगा। परिणामस्वरूप दोनों पहिये समान दूरी तय करेंगे जिससे कार एक सीधी रेखा में चलेगी।यदि वाहन को मोड़ना होगा तो इस प्रकार मोड़ना कठिन या लगभग असंभव है। ऑटोमोबाइल में डिफरेंशियल कारों की रोटेशनल शक्ति को नियंत्रित करके इन सभी असुविधाओं से बचता है।

डिफरेंशियल टाइप्स  



वाहनों में मुख्यता चार प्रकार के डिफरेंशियल होते हैं जैसा कि नीचे बताया गया है।

1.ओपन डिफरेंशियल

यह वाहनों में उपयोग किया जाने वाला सबसे सरल और सबसे आम डिफरेंशियल है। ओपन डिफरेंशियल पहियों को मोड़ते समय अलग-अलग टॉर्क प्राप्त करने में मदद करता है। यह उचित सड़क परिस्थितियों में पूरी तरह से काम करता है। लेकिन जब कार के पहिये फिसलन वाली सतह पर आते हैं, तो इस स्थिति में मोड पर कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है और पहिया केवल अपनी जगह पर ही घर्षण की कमी के कारण घूमता है क्योंकि व्हील और सड़क पर घर्षण के कमी के कारण प्रोपर कॉन्टैक्ट नहीं हो पाता है और किसी भी दिशा में नहीं चलता है।

2.लिमिटेड स्लिप डिफरेंशियल

जब फिसलन वाली सतह पर व्हील्स पर कर्षण कम या शून्य होता है तो ओपन डिफरेंशियल मै व्हील्स पर अधिक शक्ति ट्रांसफर नही कर पाता है। लेकिन इसके विपरीत लिमिटेड स्लिप डिफरेंशियल मै पहिये पर अधिक शक्ति प्रवाहित करता है, जिससे सड़क पर अधिक पकड़ होती है। परिणामस्वरूप फिसलन भरी सड़क पर भी वाहन चलते रहते हैं। यह आप हाइ परफोर्मेंस वाले वाहनों, रेस कारों आदि पर देख सकते हैं।
3. लॉकिंग डिफरेंशियल 

लॉकिंग डिफरेंशियल भी सामान्य मोड पर दोनों पहियों पर अलग-अलग आरपीएम क्रिएट करता है। यदि किसी एक व्हील में कर्षण की कमी है तो यह वाहन के पूरे टॉर्क को दोनों पहियों पर स्थानांतरित करने में सक्षम होता है । इस सिस्टम में प्रयुक्त स्प्रिंग और क्लच(Clutch Working Principle )डिफरेंशियल सिस्टम को लॉक कर देते हैं (छोटे गियर को कस कर)और परिणाम स्वरूप दोनों पहियों को समान शक्ति मिलती है और वे अपने शाफ्ट पर घूमते रहते हैं। एक पहिये में शून्य कर्षण होने के बाद भी वाहन आसानी से निकल जाता है क्योंकि इसका दूसरा पहिया ठीक से काम करता है। यह अंतर ऑफ-रोड वाहनों के लिए आदर्श है।

4. टॉर्क वेक्टरिंग डिफरेंशियल

यह ऑटोमोबाइल में सबसे एडवांस और टेक्नोलॉजी-बेस्ड डिफरेंशियल है। टॉर्क-वेक्टरिंग डिफरेंशियल  इलेक्ट्रॉनिक रूप से पावर वितरण का प्रबंधन करता है। इस डिफरेंशियल में उपयोग किए गए सेंसर (Car Sensors)थ्रॉटल स्थिति, सड़क की सतह, स्टीयरिंग सिस्टम(Steering System)  आदि का पता लगाते हैं और उनका आकलन करते हैं। ठीक से समझने के बाद, यह कंट्रोलर और छोटे क्लच की मदद से बाएं और दाएं पहियों पर टॉर्क को सटीक रूप से वितरित करता है।

इस तरह यह सड़क की कैसी भी स्थिति के बावजूद, सभी मोड पे एक कंट्रोल्ड एवं सुरक्षित ड्राइविंग प्रदान करता है। 

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